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Thursday, May 9, 2013

Milk –Solution Of All Diseases

सभी प्रकार के रोगों की दवा दूध
(Milk –Solution Of All Diseases)

दूध पुराने समय से ही मनुष्य को बहुत
पसन्द है। दूध को धरती का अमृत कहा गया है।
... दूध में विटामिन `सी´ को छोड़कर शरीर के
लिए सभी पोषक तत्त्व यानि विटामिन हैं।
इसलिए दूध को पूर्ण भोजन माना गया है।

सभी दूधों में माता के दूध को श्रेष्ठ
माना जाता है, दूसरे क्रम में गाय का दूध
है। बीमार लोगों के लिए गाय का दूध
श्रेष्ठ है। गैस तथा मन्दपाचनशक्ति वालों को सोंठ,
इलायची, पीपर, पीपरामूल जैसे पाचक मसाले
डालकर उबला हुआ दूध पीना चाहिए। दूध
को ज्यादा देर तक उबालने से उसके पोषक
तत्व कम हो जाते हैं और दूध
गाढ़ा हो जाता है।

दूध को उबालकर उससे मलाई निकाली जाती है।
मलाई गरिष्ठ, शीतल (ठण्डा), बलवर्धक,
तृप्तिकारक, पुष्टिकारक, कफकारक और
धातुवर्धक है। यह पित, वायु, रक्तपित एवं
रक्तदोष को खत्म करती है। गुड़ डाला हुआ
दूध मूत्रकृच्छ (पेशाब में जलन) को खत्म
करता है, यह पित्त और बलगम को बढ़ाती है।
सुबह का दूध विशेषकर शाम के दूध
की तुलना में भारी व ठण्डा होता है। रात
में पिया हुआ दूध बुद्धिवर्द्धक,
टी.बी.नाशक, बूढ़ों के लिए वीर्यप्रद
आदि दोषों को खत्म करने वाला होता है।
खाने के बाद होने वाली जलन को शान्त करने
के लिए रात में दूध पीना चाहिए।
दूध ज्यादा जलन वालों, कमजोर शरीर वालों,
बच्चों, जवानों और बूढ़ों सभी के लिए
अत्यन्त लाभकारी है। यह जल्दी ही वीर्य
पैदा करती है। भैंस के दूध में
चर्बी की मात्रा होने से वह पचने में
भारी रहता है। `चरक´ के अनुसार गाय का दूध
स्वादिष्ट, शीतल (ठण्डा), कोमल, भारी और मन
को खुश करने वाला होता है।

बकरी का दूध कषैला, मीठा, शीतल, मन
को रोकने वाला तथा हल्का होता है। यह
रक्तपित्त, अतिसार (दस्त), क्षय (टी.बी.),
खांसी तथा बुखार को दूर करता है।
बकरियां कद में छोटी होती हैं और तीखे व
कड़वे पदार्थ सेवन करती हैं, पानी कम
पीती है, मेहनत अधिक करती हैं। अत:
उनका दूध सारे रोगों को खत्म करता है।

स्वस्थ बकरी का दूध ज्यादा निरोग
माना जाता है। गाय के दूध की तुलना में
बकरी का दूध जल्दी पचता है। अत: छोटे
बच्चों के लिए यह लाभकारी है।
स्त्री का दूध हल्का, ठण्डा, जलन एवं वायु,
पित, आंखों के रोग और ‘शूलनाशक है। यह नाक
से सूंघने से तथा आंखों में डालने के लिए
गुणकारी है।

अलग-अलग प्राणियों के दूध की अलग-अलग
विशेषताएं हैं। भैंस का दूध निद्राकारक
(नींद लाने वाला) है। बकरी का दूध खांसी,
अतिसार (दस्त) और बुखार को दूर करता है।
भेड़ का दूध गर्मी और पथरी को दूर करता है।

घोड़ी का दूध गर्म और बलकारी होता है।
ऊंटनी का दूध जलोदर (पेट में पानी भरना)
को मिटाता है। गधी का दूध
बच्चों को शक्ति प्रदान करता है, और दिल
को मजबूत बनाता है यह खांसी में
भी ज्यादा लाभकारी है।

यूनानी चिकित्सा पद्धति के अनुसार-दूध
पाचक, दिल-दिमाग को खुश करने वाला, शरीर
को कोमल तथा मजबूत बनाने वाला, शरीर
की रौनक बढ़ाने वाला, बुद्धिवर्द्धक एवं
अर्श (बवासीर), क्षय (टी.बी.) और बुढ़ापे
की बीमारियों में लाभकारी है।
दुग्धकल्प और दुग्ध आहार :

दूध एक सम्पूर्ण आहार होता है। इसमें सभी आवश्यक
तत्व उपस्थिति होते हैं। सभी दूधों में
भी गाय का दूध सर्वाधिक लाभदायक होता है।
बशर्तें गाय को आहार अच्छा दिया जाए और
दूध दुहने में स्वच्छता बरती जाए यदि गाय,
भैंस और बकरी स्वस्थ है तो सीधे थन से
ही अथवा एक उबाल का दूध पीना चाहिए।
दूध आहार और दुग्धकल्प में थोड़ा अन्तर
है। दूध आहार में दूध के साथ अन्य आहार
भी लिया जाता है किन्तु दुग्धकल्प में
सिर्फ दूध ही पिया जाता है, वह
भी योजनाबद्ध तरीके से।

1 : शिशु शक्तिवर्धक
बच्चे बड़े होने पर कमजोर हो या उन्हें
सूखा रोग (रिकेटस) हो तो उन्हें दूध में
बादाम मिलाकर पिलाने से लाभ होता है।
2 : शक्तिवर्धक
आधा किलो दूध में 250 ग्राम गाजर
को कद्दूकस से छोटे-छोटे पीस करके उबालकर
सेवन करने से दूध जल्दी हजम हो जाता है।
दस्त साफ आता है व दूध में लोहे
की मात्रा अधिक हो जाती है।

3 : स्त्रीप्रसंग के बाद
की कमजोरी
स्त्री प्रसंग करने के बाद एक
गिलास दूध में 5 बादाम पीसकर मिलाएं और
इसमें 1 चम्मच देशी घी डालें और पी जाएं।
इस प्रयोग से बल मिलता है। नामर्दी दूर
करने के लिए सर्दियों के मौसम में दूध में
लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग केसर डालकर
पीना चाहिए।
4 : अम्लपित्त
जिन्हें अम्लपित्त (पेट से कंठों तक जलन)
हो, उन्हें दिन में 3 बार ठण्डा दूध पीने
से लाभ होता है।गाय या बकरी के दूध
का प्रयोग करना चाहिए। भैंस के दूध
का सेवन हानिकारक होता है, इसलिए
इसका इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।
आधा गिलास कच्चा दूध, आधा गिलास पानी, 2
पिसी हुई छोटी इलायची मिलाकर सुबह पीने
से अम्लपित्त में लाभ होता है।

5 : थकान
थकावट दूर करने के लिए 1 गिलास गर्म दूध
सेवन करना चाहिए।
6 : होठों का सौन्दर्य
1 चम्मच कच्चे दूध में थोड़ा-सा केसर
मिलाकर होंठों पर मालिश करने से
होंठों का कालापन दूर होकर रौनक बढ़ती है।

7 : चेहरे का सौन्दर्य
चेहरे पर से झांई, मुंहासे और दाग-धब्बे
हटाने के लिए रात को सोने से पहले गर्म
दूध चेहरे पर मलें, फिर आधे घंटे के बाद
साफ पानी से धोयें इससे चेहरे
की सुन्दरता बढे़गी, दूध की झाग चेहरे पर
मलने से दाग-धब्बे समाप्त हो जाते हैं।
चेहरे पर झांई, कील, मुंहासे, दाग, धब्बे
दूर करने के लिए सोने से पहले गर्म दूध
चेहरे पर मले, चेहरा धोएं। आधा घंटे बाद
साफ पानी से चेहरा धोएं। इससे चेहरे
का सौन्दर्य बढ़ेगा। चेहरे के धब्बों पर
ताजे दूध के झाग मिलने से धब्बे मिट जाते
हैं। सोते समय चेहरे पर दूध की मलाई लगाने
से भी कील-मुहांसे तथा दाग-धब्बों पर
ताजे दूध के झाग मलने से धब्बे मिट जाते
हैं।
8 : खुजली
दूध में पानी मिलाकर रूई के फाहे से ‘शरीर
पर रगड़ने के थोड़ी देर बाद स्नान करने से
खुजली मिट जाती है।

9 : आधासीसी का दर्द
सूर्योदय (सुबह सूरज उगने से पहले) से
पहले गर्म दूध के साथ जलेबी या रबड़ी खाने
से आधाशीशी (आधे सिर के दर्द) का दर्द दूर
हो जाता है।50 ग्राम बकरी के दूध में लगभग
50 ग्राम भांगरे के रस को मिलाकर धूप में
गर्म होने के लिए रख दें। अब इस मिले हुए
दूध में लगभग 5 ग्राम कालीमिर्च के चूर्ण
को मिलाकर सिर में मलने से आधे सिर
का दर्द दूर हो जाता है। सूरज के उगने से
पहले दूध के साथ गर्म-गर्म जलेबी खाने से
आधासीसी (आधे सिर का दर्द) का दर्द दूर
हो जाता है।
10 : आंखों के रोग
आंखों में चोट लगी हो, जलन हो रही हो,
मिर्च-मसाला गिरा हो, कोई कीड़ा गिर
गया हो या दर्द होता हो, तो रूई के फाहे
को दूध में भिगोकर आंखों पर रखने से आराम
मिलता है। दूध की 2 बूंदे दूध आंखों में
भी डालने से भी लाभ होता है।

11 : आंखों में अवांछित चीज गिर जाना
आंखों के अन्दर तिनका या कोई चीज गिर जाए
और वह निकल न रहा हो तो आंख में दूध की 3
बूंदे डालें। दूध की चिकनाहट से अवांछित
चीज आंख से बाहर निकल जाएगी।
12 : सांस की नली के रोग
दूध में 5 पीपल डालकर गर्म करें, इसमें
चीनी डालकर सुबह और ‘शाम पीने से सांस
की नली के रोग जैसे खांसी, जुकाम, दमा,
फेफड़े की कमजोरी तथा वीर्य की कमी आदि रोग
दूर होते हैं।

13 : वीर्य की पुष्टता
सुबह नाश्ते में 1 केला, 10 ग्राम
देशी घी के साथ खाकर ऊपर से दूध पी लें।
दोपहर के बाद 2 केले, लगभग 30 ग्राम खजूर,
1 चम्मच देशी घी खाकर ऊपर से दूध पीयें।
ऐसा रोजाना करने से ‘शरीर में वीर्य
की मात्रा बढ़ जाती है।
14 : मूत्राशय के रोग
मूत्राशय के रोग में दूध में गुड़ मिलाकर
पीने से लाभ होता है।

15 : बच्चों के दांत गलना
बच्चों को दूध पिलाने के बाद थोड़ा-
सा पानी पिलायें। बच्चे को कोई भी चीज
खाने-पीने के बाद थोड़ा-सा पानी पिलाएं और
कुल्ले करायें। इससे बच्चों के दांत
नहीं गलते हैं।
16 : दस्त
छोटे बच्चों को दस्त हो तो गर्म दूध में
चुटकीभर पिसी हुई दालचीनी डालकर पिलाने
से दस्त बंद हो जाते हैं। बड़ों को इसे
दोगुनी मात्रा में पिलाना चाहिए।

17 : दूध पीने का उपयोगी समय
सुबह के समय दूध पीना बहुत
ही लाभकारी होता है। दूध का पाचन सूर्य
की गर्मी से होता है। अत: रात को दूध
नहीं पीना चाहिए। साधारणतया दूध सोने से
तीन घंटे पहले पीना चाहिए। रात
को ज्यादा गर्म दूध पीने से स्वप्नदोष
होने की संभावना रहती है।
18 : दूध कैसा पीयें
ताजा गर्म दूध पीना अच्छा रहता है। यदि यह
सम्भव न हो तो दूध गर्म करके पीयें। गर्म
उतना ही करें जितना गर्म पिया जा सकता है।
दूध को ज्यादा उबालने से दूध के
प्राकृतिक गुण समाप्त हो जाते हैं। दूध
को बहुत उलट-पुलट कर झाग पैदा करके धीरे-
धीरे पीने से दूध पीने में मजा आता है।
19 : दूध में मिठास
चीनी में मिला दूध कफकारक होता है। अक्सर
दूध में चीनी मिलाकर मीठा करके पीते हैं।
चीनी मिलाने से दूध में जो कैल्शियम
होता है वह खत्म हो जाता है। इसलिए दूध
में चीनी मिलाना उचित नहीं होता है। दूध
में प्राकृतिक मिठास होती है। फीके दूध
को पीने से थोड़े ही समय में उसके
प्राकृतिक मिठास का आभास होने लगता है और
उसमें बाहर की कोई चीज डालकर मीठा करने
की जरूरत नहीं होती है। जहां तक हो सके
दूध में चीनी न मिलाएं अगर मिठास की जरूरत
हो तो शहद, मीठे फलों का रस,
मुनक्का को भिगोकर इसका पानी, गन्ने का रस
या ग्लूकोज मिलायें।
बूरा या मिश्री मिला हुआ दूध
वीर्यवर्द्धक और त्रिदोषनाशक होता है।
20 : दूध का शीघ्र पाचन
किसी-किसी बच्चे या व्यक्ति को दूध हजम
नहीं होता या उन्हें दूध
अच्छा नहीं लगता। इसके लिए दूध उबालते
समय उसमें 1 पीपल डालकर दूध उबालकर
पीयें। इससे पेट में गैस नहीं बनती। दूध
में शहद मिलाकर पीने से भी पेट में गैस
नहीं बनती है। दूध जल्दी पच जाता है। दूध
के साथ नारंगी, मौसमी का रस मिलाकर पीने
से या दूध पीकर ऊपर से नारंगी खाने से दूध
जल्दी पच जाता है। अगर दूध बादी करता हो,
गैस बनाता हो तो अदरक के टुकड़े या सोंठ
का चूर्ण और किशमिश मिलाकर सेवन
करना चाहिए।

21 : किन रोगों में दूध नहीं पीना चाहिए
खांसी, दमा, दस्त, पेचिश, पेट दर्द और अपच
के रोग में हमें दूध नहीं पीना चाहिए।
इनमें ताजा छाछ (मट्ठा) पीना चाहिए।